DC Rate Job, Check This On Packaged Food: पैकेट पर लिखी चीज़ों को पढ़ना
खाने-पीने की चीज़ों का कोई पैकेट ख़रीदने से पहले आप कितना समय उस पर लिखी चीज़ों को पढ़ने में लगाते हैं? अगर आप किसी चिप्स के पैकेट से चिप्स खाएं तो क्या आपको अंदाज़ा रहता है कि उसमें कितना फै़ट और कितना कार्बोहाइड्रेट था? इन सवालों का जवाब शायद आपके पास नहीं होगा।
मार्केट रीसर्च कंपनी की रिपोर्ट
बाज़ार में प्रोसेस्ड और अल्ट्रा प्रोसेस्ड पैकेट वाले खाने की भरमार है। ऐसे में किसी भी इंसान के लिए इतने सारे विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनना आसान नहीं है। चर्चित मेडिकल जर्नल लैंसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, देश के शहरी और ग्रामीण इलाक़ों में ली जा रही कुल कैलोरी का औसतन 10 फ़ीसदी अल्ट्रा प्रोसेस्ड फ़ूड के ज़रिए पहुंच रहा है। आर्थिक रूप से बेहतर शहरी परिवारों में ये बढ़कर 30 प्रतिशत तक पहुँच चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में प्रोसेस्ड फ़ूड का खुदरा बाज़ार 2021 में 2535 अरब रुपये तक पहुँच चुका था।
Front Of Pack Labelling की आवश्यकता
साथ ही, बहुत बार लोगों की ये शिकायत भी रहती है कि पैकेट पर जो लिखा है उसका साइज़ बहुत छोटा होता है। इस वजह से वह नज़र नहीं आता। इसलिए, एक ऐसी प्रणाली की ज़रूरत है जिसे कोई भी इंसान समझ पाए, चाहे उसे पढ़ना आता हो या नहीं।
Packaged Food: Indian Nutrition Rating Model की प्रस्तावना
साल 2022 सितंबर में एफ़एसएसएआई ने ‘फ़्रंट ऑफ़ पैक लेबलिंग’ का एक मसौदा पेश किया था। इस ड्राफ़्ट में इंडियन न्यूट्रिशन रेटिंग मॉडल को लाने का प्रस्ताव रखा गया था।
डॉक्टर प्रदीप अग्रवाल की सलाह
डॉक्टर प्रदीप अग्रवाल कहते हैं,
”औसतन एक इंसान कोई भी खाने का पैकेट ख़रीदने से पहले 7 से 8 सेकेंड लगाता है। हमें इन 7 से 8 सेकेंड में पढ़े जाने वाला एक ऐसा फ़्रंट ऑफ़ पैक लेबल बनाना होगा, जो स्पष्ट, स्वस्थ, और अच्छा हो, और हम उस पर आधारित करके अपने आप को उसमें लिखा हुआ समझें और सही डिसीज़न लें।”