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Memory: ये लोग हो जाते हैं सबसे ज्यादा भुलक्कड़, मेमोरी लॉस का रहता है खतरा

Memory: शिफ्ट में काम करने वाले लोगों की याददाश्‍त जल्‍दी कमजोर होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि खाने के समय में अनियमितता के चलते शिफ्ट में काम करने वाले लोगों के याददाश्‍त गंवाने की संभावना (memory loss) सर्वाधिक होती है। इसके तहत देर रात को खाना खाने वाले लोगों को सूचनाएं याद रखने और सीखने में दिक्‍कत होती है। आधी रात में खाना खाने से दिमाग की स्थिति में बदलाव आता है। शोध में सामने आया कि सोने के समय (Bed time) में खाने से सीखना मुश्किल हो जाता है।

इसके चलते दिमाग का याद रखने वाला और भावनाओं वाला हिस्‍सा कमजोर हो जाता है। कैलीफॉर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार इस बात से सब लोग वाकिफ है कि खाने की इस तरह की आदतों से शरीर के मेटाबॉलिज्‍म पर असर (metabolism impact) पड़ता है और इससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शोध में खुलासा हुआ कि जो लोग सोने के समय खेलते या काम करते हैं उनका दिमाग इससे सुस्‍त हो जाता है।

इस संबंध में जानकारी जुटाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक चुहिया पर प्रयोग किया। उन्होंने देखा कि चुहिया को जब उसके सोने के समय में खिलाया गया तो उसे चीजों को पहचानने में परेशानी हुई, साथ ही चुहिया की लॉन्‍ग टर्म याददाश्‍त में भी कमी दर्ज की गई। लंबे समय तक बातों को याद रखने और चीजों को पहचानने का काम दिमाग का हिप्‍पोकेंपस नाम का हिस्‍सा करता है। खाने की अनियमित आदतों के चलते हिप्‍पोकेंपस को नुकसान पहुंचता है।

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यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉक्‍टर क्रिस्‍टोफर कोलवेल ने बताया कि आधुनिक समय के दिनचर्या में हमारे खाने का कोई तय समय नहीं है इसलिए यह समझना जरूरी है कि खाने का समय किस तरह हम पर असर डालता है। हालांकि टेस्‍ट चुहिया पर किए गए लेकिन शोधकर्ताओं ने बताया कि शिफ्ट में काम करने वाले चेतना से जुड़े मामलों में पीछे रह जाते हैं। वैज्ञानिकों ने साथ ही बताया कि गलत समय पर खाना खाने से नींद पर भी असर पड़ता है।

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