lifestyle

Tikki Recipe: इस तरह घर पर बनाएँ गंगा किनारे बिकने वाली टिक्की

Tikki Recipe: शाहजहांपुर में मां गंगा का एक भक्त है जो सब कुछ मां के नाम से करता है। उमेश चंद्र, मां गंगा के भक्त, कहते हैं कि सारे काम मां की कृपा से होते हैं।

उमेश को लगता है कि मां गंगा उनके सिर पर हर वक्त हाथ रखती है। उसकी हर कार्रवाई अच्छी होती है।

शाहजहांपुर में चार दशक से चाट बेच रहे उमेश चंद्र ने अपने चाट के ठेले को मां गंगा के प्रसिद्ध घटिया घाट के नाम से नामांकित किया है। उमेश चंद्र की चाट (Tikki Recipe) इतनी लोकप्रिय है कि लोग दूर-दूर से इसे खाने आते हैं।

आज से 45 साल पहले, मां गंगा के भक्त उमेश चंद्र सैनी ने शाहजहांपुर में चाट बेचना शुरू किया था। उमेश चंद्र सैनी बताते हैं कि शादी के 16 साल बाद भी उनके यहां कोई संतान नहीं हुई।

सारे काम मां की कृपा से होते हैं. इसके बाद, उन्होंने मां गंगा के प्रसिद्ध घटिया घाट पर जाकर स्नान किया और मां से संतान देने की प्रार्थना की। तब मां ने अपनी इच्छा पूरी की और उनके यहां एक बेटा हुआ। उमेश चंद्र सैनी कहते हैं कि अब उनका हर काम मां की कृपा से होता है, इसलिए उन्होंने अपने चाट के ठेले को जय मां गंगे घटिया घाट चाट भंडार नाम दे दिया।

उमेश सैनी ने बताया कि जब वे गंगा माता को दर्शन देने जाते थे, तो प्रसाद में अपने हाथों से बनाई हुई चाट ही माता को देते थे।
खास तरह से तैयार है घटिया चाट: भंडार पर बिकने वाली टिक्की बहुत विशिष्ट तरीके से बनाई जाती है। उमेश चंद्र बताते हैं कि वह सुबह छह बजे से चाट बनाना शुरू कर देते हैं। टिक्की में मटर डालकर तवे पर फ्राई करें। टिक्की में इस्तेमाल होने वाली चटनी भी देसी खटाई और गुड़ से बनाई जाती है। चाट में प्रयोग होने वाले मसाले खुद सिलबट्टे से पीस कर बनाते हैं।

जिससे टिक्की का स्वाद बहुत अलग होता है। घटिया घाट चाट स्टोर के बताशे भी बहुत प्रसिद्ध हैं। जलजीरा, पुदीना, धनिया पत्ती, देसी खटाई और इमाम दस्ते से पिसे हुए मसाले बताशे के पानी में डाले जाते हैं।

ग्राहक दिन भर इंतजार करते हैं घटिया चाट का ठेला शाहजहांपुर के जली कोठी इलाके में शाम 5 बजे आता है और रात 11 बजे तक चलता है। उमेश चंद्र बताते हैं कि घर पर चाट बनाने का काम सुबह छह बजे से शुरू हो जाता है।

उमेश चंद्र ने बताया कि आज से ४५ वर्ष पहले चाट बेचना शुरू किया था। उस समय दो टिक्की 50 पैसे की कीमत थी, और आज एक टिक्की 20 पैसे की है. उस समय 10 रुपये के 20 बतासे बेचा जाता था, और आज 10 रुपये के तीन बतासे बेचा जाता है। उमेश चंद्र ने बताया कि महंगाई के साथ कीमतें बढ़ी, लेकिन उन्होंने 45 साल पहले ग्राहकों को दे रहे स्वाद से कोई समझौता नहीं किया। वह आज भी है। जिससे रोजाना 150 से 200 लोग चाट खाने आते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button