OPS vs NPS : पुरानी पेंशन योजना को लेकर कर्मचारियों का एक्शन

OPS vs NPS: केंद्रीय और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन अब ‘पुरानी पेंशन’ पर बड़े संघर्ष में हैं। पुरानी पेंशन को फिर से शुरू करने से ट्रेनें रुक जाएंगी, हथियार बनाने वाली मशीन बंद हो जाएगी और सरकारी कर्मचारी काम छोड़ देंगे।

अब राज्य और केंद्रीय कर्मचारी कुछ ऐसे ही कठोर कदम उठाने की योजना बना रहे हैं। 21 नवंबर के बाद ही ऐसे कठोर उपायों की पूरी जानकारी मिल सकेगी।

एआईडीईएफ के महासचिव और ओपीएस के लिए गठित नेशनल (OPS vs NPS) ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के वरिष्ठ सदस्य सी. श्रीकुमार ने कहा कि सरकार इस मामले पर अड़ियल रवैया अपना रही है।

पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारी संघों को देश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल करना चाहिए। इसके लिए देश भर में 20 और 21 नवंबर को स्ट्राइक बैलेट होंगे। कर्मचारियों से परामर्श लिया जाएगा। केंद्रीय और राज्य सरकारी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे अगर दो-तिहाई बहुमत हड़ताल के पक्ष में होता है। उस स्थिति में रेलवे थम जाएगा और पुराने आयुद्ध कारखाने, जो अब निगमों में बदल गए हैं, वहां काम बंद हो जाएगा। केंद्रीय और राज्य सरकारों के कर्मचारी दोनों ही ‘कलम’ छोड़ देंगे।

दस अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखों कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग को लेकर जुटे हुए थे। अक्तूबर और नवंबर में भी सरकारी कर्मचारियों की रैली हुईं।

इसके बाद भी दस दिसंबर को रामलीला मैदान में कर्मचारियों की रैली होगी। इस रैली में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का भी फैसला हो सकता है। इन सबके बावजूद, केंद्रीय सरकार ने अभी तक ओपीएस को लागू करने का कोई वादा नहीं किया है। केंद्रीय मीडिया का कहना है कि सरकार ओपीएस को लागू नहीं करेगी। सरकार एनपीएस में सुधार करने को तैयार है।

सी. श्रीकुमार ने कहा कि सरकार इस मामले में अड़ियल है। पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारी संघों को देश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल करना चाहिए। इसके लिए देश भर में 20 और 21 नवंबर को स्ट्राइक बैलेट होंगे।

कर्मचारियों से परामर्श लिया जाएगा। केंद्रीय और राज्य सरकारी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे अगर बहुमत हड़ताल के पक्ष में है। उस स्थिति में, राज्य और केंद्रीय कर्मचारी ‘कलम’ छोड़ देंगे और रेलवे थम जाएगा।

अनिश्चितकालीन अवकाश ही एकमात्र विकल्प है।

सी. श्रीकुमार ने कहा कि राज्यों और केंद्रीय कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन को फिर से शुरू किया है। इस मुद्दे पर लगभग देश के सभी कर्मचारी संगठन सहमत हैं। केंद्रीय और राज्यों के कई स्वायत्तता प्राप्त संस्थाओं और निगमों ने भी ओपीएस की लड़ाई में भाग लेने की घोषणा की है। यह भी बैंक और बीमा क्षेत्र के कर्मचारियों से बातचीत कर रहा है।

कर्मचारियों ने सरकार से हर संभव उपाय करके पुरानी पेंशन को वापस लेने की मांग की है, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई है।

अनिश्चितकालीन हड़ताल अब उनका एकमात्र विकल्प है। दस अगस्त को देश भर से आए लाखों कर्मचारियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘ओपीएस’ को लेकर हुंकार भरी।

कर्मचारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे हर परिस्थिति में पुरानी पेंशन बहाल कराकर ही दम लेंगे। सरकार को उदासीन होना पड़ेगा। कर्मचारियों ने कहा कि वे सरकार को एक प्रस्ताव देने को तैयार हैं जिसमें ओपीएस लागू करने से सरकार को कोई नुकसान नहीं होगा। ‘भारत बंद’ जैसे कठोर कदम उठाए जाएंगे अगर सरकार इसके बाद भी पुरानी पेंशन लागू नहीं करती है।

भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा

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OPS के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती, तो भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

यह संख्या कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर दस करोड़ से अधिक है। चुनाव में महत्वपूर्ण परिवर्तन होने के लिए यह संख्या महत्वपूर्ण है।

ओपीएस पर संघर्ष कर रहे हैं: केंद्र के सभी मंत्रालयों और विभागों, रेलवे, बैंक, डाक, प्राइमरी, सेकेंडरी, कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षक, अन्य विभागों और विभिन्न निगमों और स्वयत्त संस्थाओं के कर्मचारी।

मिश्रा का कहना है कि वित्त मंत्रालय ने जो कमेटी बनाई है, उसमें ‘OPS’ का नाम ही नहीं है। उसमें एनपीएस में सुधार भी बताया गया है। इससे पता चलता है कि केंद्रीय सरकार ओपीएस लागू करने की इच्छा नहीं है।

केंद्र सरकार द्वारा NPS में जो भी सुधार किए जाएं, कर्मचारियों को वह पसंद नहीं है। कर्मचारियों का एकमात्र लक्ष्य है, बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को समाप्त करना और परिभाषित और गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ को फिर से शुरू करना।

18 साल बाद रिटायर हुए कर्मचारी को इतनी पेंशन मिली

शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि एनपीएस कर्मचारियों की पेंशन उतनी ही बुढ़ावा पेंशन है।

कर्मचारियों ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों, उनके परिवारों और रिश्तेदारों को मिलाकर देश में दस करोड़ से अधिक लोग हैं।

ओपीएस लागू नहीं होने पर भाजपा को लोकसभा चुनाव में राजनीतिक क्षति होगी। कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी एजेंडे में ओपीएस को शामिल किया है।

ओपीएस ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। NPS स्कीम में शामिल कर्मचारियों को 18 साल बाद रिटायर होने पर क्या मिल गया? NPS में एक कर्मी को 2417 रुपये मासिक पेंशन मिली है, दूसरे को 2506 रुपये और तीसरे को 4900 रुपये मासिक पेंशन मिली है।

अगर यही कर्मचारी पूर्ववर्ती पेंशन व्यवस्था में होते तो उन्हें प्रतिमाह 15250, 17150 और 28450 रुपये मिलते। NPS कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर छोटी सी पेंशन मिलती है, लेकिन वे हर महीने अपने वेतन का दस फीसदी देते हैं।

इस शेयर को चौबीस या चौबीस प्रतिशत तक बढ़ाने का कोई लाभ नहीं होगा। 12 लाख से अधिक लोग रेलवे में काम करते हैं, जबकि करीब चार लाख लोग रक्षा क्षेत्र में काम करते हैं। केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के कई संगठन भी ओपीएस की मांग कर रहे हैं।

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