Chandra Grahan: कल लगने जा रहा साल का अंतिम चन्द्र ग्रहण

Chandra Grahan: चंद्रग्रहण हो या सूर्यग्रहण, लोगों की उत्सुकता अत्यधिक रहती है। ज्योतिष में भी ये खगोलीय घटनाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। 28 अक्टूबर, शनिवार, शरद पूर्णिमा पर वर्ष 2023 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण होगा।

बताया जा रहा है कि मध्य रात्रि में ये चंद्र ग्रहण होंगे। खास बात यह है कि भारत भी इसे देख सकेगा। जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक रेखा में होते हैं, तो चंद्रमा पृथ्वी की छाया से ढक जाता है। इस तरह, चांद पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचने से अंधेरा छा जाता है। इसे चंद्रग्रहण कहते हैं। आइए ज्योतिष एवं वास्तुविद (आगरा) प्रमोद कुमार अग्रवाल से चंद्र विद्या का ज्ञान प्राप्त करें।

प्रमोद कुमार अग्रवाल बताते हैं कि 2023 में तीन तरह के चंद्र ग्रहण होंगे: पूर्ण, आंशिक और उपच्छाया। हमारे अंतिम चंद्र ग्रहण आंशिक होगा। इस वर्ष शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद, यानी शनिवार 28 अक्टूबर 2023 को 01:05 बजे से 02:24 बजे तक चंद्र ग्रहण होगा। इस चंद्र ग्रहण का समय 01:19 मिनट है।

चंद्र ग्रहण 2023 का सूतक काल 28 अक्टूबर को शाम 04:05 बजे से शुरू होगा, चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले। चंद्र ग्रहण के बाद ही ये खत्म होता है।

यह स्वीकार करना चाहिए कि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। ध्यान नहीं करना चाहिए। सूतक काल लगते ही धरती का वातावरण खराब हो जाता है।
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण कहाँ दिखेगा? 28 अक्टूबर को भारत के अलावा, यह ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, अमेरिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा। भारत में बिहार, पटना, उत्तर प्रदेश और नोएडा शामिल हैं।

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2023 चंद्रग्रहण सूतक काल में क्या करें और क्या नहीं करें: यह चंद्र ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में हो रहा है, इसलिए मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोगों को बहुत सावधान रहना चाहिए।

वृष, मिथुन, कन्या, धनु और मकर राशि के लोगों के लिए यह चंद्र ग्रहण शुभ होगा।
सूतक काल में कोई भी शुभ और धार्मिक कार्य करना, खाना खाना आदि निषिद्ध है। वहीं, गर्भवती महिलाओं को भी चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए।

— सूतक काल शुरू होने से पहले भोजन, दूध, पेयजल आदि में तुलसी की पत्तियां अवश्य डाल देनी चाहिए। घर के मंदिर को भी पट या पर्दा लगाकर बंद करना चाहिए।

– ग्रहण काल में अपने ईष्ट देव का स्मरण, भजन और कीर्तन करना चाहिए।

— ग्रहण पूरा होने पर स्नान करना, जरूरतमंदों को दान देना और अपने ईष्ट देव के मंत्रों का जप करना चाहिए।

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