Masur Dal: भारत और कनाडा के बीच बढ़ता जा रहा तनाव भारत और कनाडा ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्काषित करने और अब कनाडा के नागरिकों को वीजा नहीं देने की घोषणा से मामला काफी गर्मा गया है।
दोनों देशों के बीच कुछ व्यापार सौदे भी फिलहाल ठंडे बस्ते में हैं। साल 2023 में कनाडा-भारत का कारोबार 8 बिलियन डॉलर, या 67 हजार करोड़ रुपये था।
भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव का सबसे बड़ा असर मसूर दाल (Masur Dal)और म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) उर्वरक की आपूर्ति और कीमतों पर हो सकता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत इन दोनों चीजों को कनाडा से बड़ी मात्रा में आयात करता है।
अरहर के बाद भारत में मसूर दाल सबसे अधिक खाई जाती है। यही कारण है कि भारत में मृदा पोटाश का उपयोग यूरिया और डीएपी के बाद सबसे अधिक होता है।
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यदि कनाडा के साथ तनाव लंबे समय तक जारी रहता है, तो सप्लाई और कीमतें प्रभावित हो सकती हैं। 2020-2021 में भारत ने 11.16 लाख टन मसूर आयात किया, 2021-22 में 6.67 लाख टन और 2022-23 में 8.58 लाख टन मसूर आयात किया।
इसमें भारत ने 2020–2021 में 9.09 लाख टन, 2021-22 में 5.23 लाख टन और 2022-23 में 4.85 लाख टन मसूर कनाडा से आयात किया था।
भारत ने 2020 से 2021 तक कनाडा से 50.94 लाख टन म्युरेट ऑफ पोटाश (MOP) आयात किया। इसी तरह, २०२१-२२ में २९.०६ लाख टन और २०२२-२३ में २३.५९ लाख टन पोटाश का कुल आयात हुआ।
2020-2021 में कनाडा ने 16.12 लाख टन, 2021-22 में 6.15 लाख टन और 2022-23 में 11.43 लाख टन का योगदान दिया। कनाडा के अलावा भारत ने एमओपी को इज़राइल, जॉर्डन, बेलारूस, तुर्कमेनिस्तान और रूस से भी खरीद लिया है।
तनाव का प्रभाव क्या होगा?
भारत मसूर आयात करने के लिए कनाडा पर बहुत निर्भर है। व्यापार जानकारों का कहना है कि अगर बहस लंबे समय तक जारी रहती है तो इसका प्रभाव हो सकता है।
कनाडा में उत्पादित आधी मसूर भारत में निर्यात की जाती है। ऐसे में भारत से मसूर का निर्यात रोकना कनाडा के लिए भी कठिन होगा क्योंकि इससे उसे भी भारी नुकसान होगा।
भारत को कनाडा से मसूर आयात प्रभावित होने पर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का विकल्प मिलता है। भारत ने अमेरिका से मसूर के आयात पर आयात शुल्क में भी राहत दी है।
भारत, इज़राइल, जॉर्डन, बेलारूस, तुर्कमेनिस्तान और रूस से एमओपी उर्वरक खरीदता है। भारत को दूसरे देशों से अधिक एमओपी आयात का विकल् प मिलेगा अगर कनाडा से तनाव लंबे समय तक रहता है। इसलिए कनाडा के साथ तनातनी फिलहाल एमओपी की आपूर्ति और कीमतों पर कोई असर नहीं होगा।