Haryana Update, Share Market: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने 2023 में डेट फंड्स (Debt Funds) में खूब पैसा डाला है. इतना कि 3 साल बाद यह निगेटिव से पॉजिटिव में बदल गया है. एक्सपर्ट बताते हैं कि आकर्षक यील्ड और जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड्स के शामिल होने की संभावनाओं के चलते ऐसा हुआ है. नेशनल सिक्योरिटी डिपोजिटरी लिमिटेड (NSDL) के अनुसार, इस साल में अभी यह फंड 68,663 करोड़ रुपये पर है, जबकि पिछले साल 15,911 करोड़ रुपये निकाले गए थे.
मुद्दे की बात ये है कि हजारों करोड़ रुपये का निवेश करने वाले विदेश निवेशक डेट फंड्स को पसंद कर रहे हैं. अब आपके मन में यह सवाल हो सकता है कि हम इसमें कैसे निवेश कर सकते हैं. क्या 20 से 30 हजार रुपये महीना सैलरी पाने वाला व्यक्ति इस फंड में निवेश कर सकता है? कर सकता है तो कितना करना चाहिए? कितने समय के लिए रखना चाहिए? कितना रिटर्न मिलने की संभावना है? और सबसे बड़ा सवाल ये कि बाकी निवेश के तमाम विकल्पों को छोड़कर डेट फंड्स में ही क्यों निवेश करें? आपके हर सवाल का जवाब यहां है.
Share Market: किसमें करना चाहिए निवेश?
बैंकबाजार के असोसिएट वाइस प्रेसीडेंट (कम्युनिकेशन्स) ए.आर. हेमंत ने न्यूज़18 हिन्दी को बताया कि डेट फंड्स एक तरह के म्यूचुअल फंड ही होते हैं. नए रिटेल (छोटे) निवेशक म्यूचुअल फंड्स के जरिये डेट फंड्स में पैसा डाल सकते हैं. डेट फंड्स में पैसा डालने का यह अच्छा टाइम है. हेमंत ने कहा, “हमें उम्मीद है कि 2024 में ब्याज दरों में कटौती होगी. इतिहास पर नजर डालें तो जब-जब ब्याज दरों में कटौती हुई है, तब-बहत लॉन्ग टर्म डेट फंड्स ने शानदार पैसा बनाकर दिया है. 2015, 2019, और 2020 में डबल डिजिट में रिटर्न दिया.”
ए.आर. हेमंत ने बताया कि शॉर्ट टर्म निवेश करना है तो लिक्विड (Liquid), ओवरनाइट (Overnight), या शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए. जो वरिष्ठ नागरिक स्टेबल और थोड़ा ज्यादा रिटर्न पाना चाहते हैं, वे लॉग्न टर्म या गिफ्ट फंड्स में निवेश कर सकते हैं.
कहां लगता है डेट फंड्स में डाला पैसा?
डेट फंड एक तरह के म्यूचुअल फंड होते हैं, जो स्थाई आय (Fixed Income) के विकल्पों में पैसा निवेश करते हैं. इनमें कॉरपोरेट और सरकारी बॉन्ड्स, कॉरपोरेट डेट सिक्योरिटीज, और मनी मार्केट इत्यादी शामिल हैं. यही वजह है कि इन्हें फिक्स्ड इनकम फंड्स या बॉन्ड फंड्स भी कहते हैं. डेट फंड्स की विशेषता है कि इसमें बने रहने का खर्च कम होता है, स्टेबल रिटर्न देते हैं, तुलनात्मक रूप से लिक्विडिटी काफी होती है. लिक्विडिटी से मतलब है कि कभी भी खरीदा या बेचा जा सकता है.
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