Greenfield Expressway: देश भर में सड़कों का जाल बन रहा है। रोड कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए हाईवे और एक्सप्रेसवे की निर्माण प्रक्रिया तेजी से जारी है। पिछले कुछ महीनों में, एक्सप्रेसवे की चर्चा तेजी से बढ़ी है।
एक्सप्रेसवे: एक्सेस कंट्रोल हाईवे, जो कहीं से भी चढ़ा या उतरा नहीं जा सकता है। जमीन से थोड़ा ऊपर बनाए गए हैं, इसलिए तय स्थानों से ही इनमें प्रवेश और बाहर जाना संभव है। आपने राजमार्गों के अलावा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे या ग्रीन कॉरिडोर का नाम सुना होगा।
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (Greenfield Expressway) का उद्देश्य क्या है? यदि आप नहीं हैं, तो यह लेख बिलकुल आपके लिए लिखा गया है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे और सामान्य एक्सप्रेसवे में अंतर स्थान है।
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यानी यह कहां बनाया जा रहा है? ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से खेतों के बीच और शहर से बहुत दूर निकाला जाता है।
क्या हो रहा है? जैसा कि नाम से स्पष्ट है, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे खेतों या हरे मैदानों से गुजरता है। यहां जमीन अधिग्रहण आसान है, जमीन समतल है और शहर से थोड़ा दूर होने से भीड़ कम है।
इसलिए, इन सड़कों को बनाना और फिर उच्च गति पर गाड़ी चलाना आसान है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में बहुत कम घुमाव और मोड़ होते हैं क्योंकि वे शहरों से बहुत दूर हैं।
इससे स्थान से स्थान की दूरी काफी कम हो जाती है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की विशिष्टता यह है कि यह एक ऐसे स्थान पर बनाया गया है जहां पहले कभी सड़क नहीं थी।
देश भर में 22 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाने की योजना है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में कई कॉरिडोर शामिल हैं, जैसे कि दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे, नागपुर-विजयवाड़ा कॉरिडोर, हैदराबाद-रायपुर कॉरिडोर, इंदौर-हैदराबाद कॉरिडोर, खड़गपुर-सिलीगुड़ी, दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर और रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर।
शहरों के बीच से ही हाईवे और एक्सप्रेसवे अलग होते हैं। इन पर गाड़ी 100 km/h तक चल सकती है। एक्सप्रेसवे पर यह स्पीड 120 km/h हो सकती है। हाईवे पर कहीं से भी चढ़ा-उतरा जा सकता है, लेकिन एक्सप्रेसवे पर चढ़ने-उतरने के लिए विशिष्ट स्थान हैं।