Govt Employees: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि अगर किसी सरकारी सेवक ने पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी कर ली है, तो उसे नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता है।
हाई कोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी को पहली शादी के दौरान दूसरी शादी करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बहस को सही पाते हुए निर्णय दिया कि सजा (Government Employees) अन्यायपूर्ण थी क्योंकि कथित दूसरी शादी पर्याप्त रूप से साबित नहीं हो सकी थी।
जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र ने कहा कि यूपी सरकारी सेवक आचरण नियमावली के नियम 29 में सरकारी कर्मचारी की दूसरी शादी के मामले में केवल हल्की सजा दी गई है, इसलिए कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता।
लाइव लॉ में कोर्ट ने कहा, “तथ्यात्मक और कानूनी प्रस्ताव पर विचार करते हुए, जैसा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में बताया गया है, मेरा मानना है कि पहली शादी के अस्तित्व के दौरान दूसरी शादी करने का अनुमान लगाकर याचिकाकर्ता को दंडित करना तथ्यात्मक और कानून के अनुरूप नहीं है…।
यहां तक कि अगर सरकारी कर्मचारी उपरोक्त गलती करता है, तो उसे मामूली सजा ही दी जा सकती है, नहीं बड़ी सजा।
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दरअसल, 8 अप्रैल 1999 को याचिकाकर्ता को जिला विकास अधिकारी, बरेली के कार्यालय में प्रशिक्षु पद पर नियुक्त किया गया था। उस पर आरोप लगाए गए कि वह दूसरी शादी कर चुकी है, जबकि वह पहले से शादीशुदा है और शादी चल रही है, इससे विवाद शुरू हुआ। याचिकाकर्ता पर कदाचार का आरोप लगाकर उसके खिलाफ आरोप पत्र जारी किए गए, जो बाद में खारिज कर दिए गए।
कर्मचारी ने हालांकि अपनी दूसरी शादी से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे सेवा से निकालने से पहले कोई पर्याप्त जांच नहीं की गई थी।
उसकी विभागीय अपील भी सीधे खारिज कर दी गई। कर्मचारी ने बाद में हाई कोर्ट में अपील की, जहां उसकी बर्खास्तगी को खारिज कर दिया गया।