DA Arrear Update: एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनरों के डीए/डीआर में चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो केंद्रीय सरकार द्वारा की गई है।
कोरोना काल में रोके गए 18% डीए एरियर को लेकर सरकार ने कुछ नहीं कहा। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने यह मुद्दा राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक में उठाया था।
स्टाफ साइड का प्रतिनिधित्व करते हुए श्रीकुमार ने डीओपीटी (DA Arrear Update ) के सचिव (पी) से कहा कि कर्मियों को 18 महीने का एरियर ‘डीए’ मिलेगा। इस दीपावली पर कर्मचारियों और पेंशनरों को गिफ्ट डीए/डीआर का एरियर दिया जाए। कोरोना काल में केंद्रीय सरकार ने कर्मचारियों को उक्त भुगतान रोक दिया, जिससे 34,402.32 करोड़ रुपये बच गए।
डीए एरियर का मुद्दा पहले भी कई बार उठाया गया था। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्सन (एनजेसीए) के वरिष्ठ सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा कि कर्मियों के हितों से जुड़े मुद्दे लगातार उठाए जा रहे हैं, जिनमें पुरानी पेंशन बहाली भी शामिल है। इन सबके अलावा, कोरोनावायरस के दौरान रोके गए 18 महीने के DA/DR भुगतान की बहस भी जारी है। स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) ने कैबिनेट सचिव को 18 महीने के डीए एरियर के भुगतान के लिए पहले से ही लिखा है। यह भी वित्त मंत्रालय को बताया गया है।
केंद्रीय सरकार ने कहा कि पेंशनर्स और केंद्रीय सरकारी कर्मचारी, कोरोना काल में रोके गए 18 महीने के डीए एरियर के भुगतान की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस वर्ष संसद के बजट सत्र में कहा कि कई कर्मचारी संघों ने डीए की बकाया राशि देने के लिए आवेदन किया है। हालाँकि, सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि डीए के एरियर को मौजूदा परिस्थितियों में जारी करना व्यावहारिक नहीं है।
अर्थात्, केंद्रीय सरकार अपने कर्मचारियों को 34 हजार करोड़ रुपये से अधिक की डीए/डीआर राशि नहीं देगी।
एफआरबीएम अधिनियम में बताए गए स्तर से दोगुने से अधिक केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा अभी भी चल रहा है, जैसा कि वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा। डीए/डीआर का एरियर देना इसलिए संभव नहीं है। सी. श्रीकुमार ने कहा कि ऐसे मामलों में कर्मचारी को छह फीसदी ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।
कोरोना काल में डीए का भुगतान रोका गया था-
कोरोना काल के दौरान, केंद्र सरकार ने जनवरी 2020 से जून 2021 तक 18 महीने का महंगाई भत्ता और 3 महंगाई राहत की किस्तें रोक दीं। उस समय सरकार ने आर्थिक हालात खराब होने का दावा किया था। बाद में, राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कैबिनेट सचिव से मुलाकात की।
कर्मचारियों की उम्मीद थी कि वे बकाया राशि पाएंगे। केंद्र सरकार ने पिछले बजट सत्र में इस मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
सी. श्रीकुमार का कहना है कि सरकार की भावना बदल चुकी है। 2020 के शुरू में, COVID-19 महामारी के कारण सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के डीए/डीआर पर प्रतिबंध लगाया गया था। केंद्र सरकार ने उस समय कर्मियों को 11 प्रतिशत डीए का भुगतान रोककर करोड़ों रुपये बचाए थे।
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बाद में कर्मचारी संगठनों ने सरकार को 18 महीने के एरियर भुगतान के लिए कई विकल्प सुझाए। इनमें एक बार में एरियर का भुगतान भी शामिल था।
कोरोना काल के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि कर्मचारियों को 28 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा। उस समय उन्होंने एरियर पर कोई टिप्पणी नहीं की। केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि एक जुलाई 2021 से डीए की दर 28 फीसदी होगी।
इसके अनुसार, जून 2021 से जुलाई 2021 के बीच डीए की दरों में एकाएक 11% की वृद्धि हुई, लेकिन पिछले दो वर्षों में कोई वृद्धि नहीं हुई। डीए/डीआर को जनवरी 2020 से जुलाई 2021 तक बंद कर दिया गया था। कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान डीए को तीन बार (जनवरी 2020, जुलाई 2020 और जनवरी 2021) बंद कर दिया गया।
48वीं राष्ट्रीय परिषद की बैठक में क्या हुआ?
एरियर के मुद्दे पर कर्मचारी संघों ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेतन और पेंशन कर्मियों को पूरा अधिकार है। राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिवों और कर्मचारियों ने 16 अप्रैल 2021 को एक पत्र में डीए/डीआर को रद्द करने के सरकारी निर्णय का कड़ा विरोध किया। कर्मचारियों ने सरकार की इस कार्रवाई को वेतन आयोगों की अनुमोदित सिफारिशों के खिलाफ बताया।
26 जून 2021 को राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) की 48वीं बैठक में स्टाफ साइड ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को डीए/डीआर की तीन किस्तों का भुगतान करने की मांग की।
जेसीएम सेक्रेटरी ने कैबिनेट सचिव को लिखे पत्र में फरवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक निर्णय का हवाला दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय में कहा कि आर्थिक संकट के कारण कर्मचारियों का वेतन या पेंशन अस्थायी रूप से रोका जा सकता है। स्थिति सुधरने पर इसे कर्मचारियों को वापस देना चाहिए। ये अधिकार कर्मियों को वैद्य अधिकार देते हैं। कानून के अनुसार इनका भुगतान होना चाहिए।