Electricity Bill : बिजली की लागत उत्तर प्रदेश में जल्द ही बढ़ सकती है। वास्तव में, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश के ताप बिजली घरों के लिए कोयला आयात करने की समय सीमा को मार्च 2024 तक बढ़ाने के निर्णय का विरोध होने लगा है। इससे उपभोक्ताओं को अधिक बिजली खर्च करना पड़ सकता है।
उपभोक्ताओं पर सीधा प्रभाव
देश में कोयला उत्पादन बढ़ने के बावजूद, ऊर्जा मंत्रालय ने विदेशी कोयला आयात करने के निर्णय पर सवाल उठाया है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस मुद्दे को उठाया है। दोनों संगठनों का दावा है कि महंगा कोयला आयात किया गया है।
इन दोनों संस्थाओं का कहना है कि महंगा कोयला (Electricity Bill) आयात करने से प्रदेश में बिजली की दर 70 पैसे से 1.10 रुपये प्रति यूनिट बढ़ेगी, जो उपभोक्ताओं पर सीधा असर डालेगा।
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पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक उत्पादन
आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि पिछले साल की अपेक्षा कोयला उत्पादन बढ़ा है। 21 अक्टूबर तक चालू वित्तीय वर्ष में 71.35 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष केवल 60.44 मिलियन टन से 10.91 मिलियन टन अधिक था।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को व्यय करना चाहिए
यही कारण है कि कोयला आयात की अनुमति को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को वापस लेने की मांग उठने लगी है। फेडरेशन ने कहा कि अगर कोयला आयात के आदेश को वापस नहीं लेता है तो ऊर्जा मंत्रालय ही अतिरिक्त खर्च उठाना चाहिए।
दर 1.10 प्रति यूनिट तक बढ़ सकती है
इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष ने कहा कि बिजली उत्पादन की लागत 70 पैसे से 1.10 रुपये प्रति यूनिट बढ़ जाएगी क्योंकि भारतीय कोयला सात से 10 गुणा महंगा है। ऐसे में साफ है कि आम उपभोक्ता बिजली की बढ़ी लागत का भुगतान करेगा।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि विदेशी कोयले का मूल्य लगभग 20 हजार रुपये प्रति टन है, जबकि देसी कोयले की कीमत तीन हजार रुपये प्रति टन है। 6 फीदी विदेशी कोयले के मिश्रण से उत्पादन लागत बढ़ जाएगी, जिससे राज्य के लोगों को अधिक भुगतान करना पड़ेगा।