Pollution: उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद सहित एनसीआर से सटे कई जिलों में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। पंजाब में लगातार जलाई जा रही पराली से दिल्ली और एनसीआर के लोगों को परेशानी हो रही है।
बुजुर्गों और छोटे बच्चों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को भी लगातार जलाई जा रही पराली को लेकर फटकार लगाई है।
प्रदूषण को कम करने के लिए पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने की योजना पर जोर दिया जा रहा है। अब एनसीआर के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण की समस्या है।
धूलकण और धुआं के निचले स्तर पर जमाव और ठंड बढ़ने के बाद थमती हवा और वायुमंडल के ऊपरी सतह में दबाव बढ़ने से यह समस्या गहरा रही है। प्रशासनिक स्तर पर इस तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए किए जा रहे उपायों से लगता है कि वे पर्याप्त नहीं हैं।
नोएडा, गाजियाबाद और राजधानी लखनऊ सहित राज्य के अन्य हिस्सों में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स की समस्याएं बढ़ती दिखती हैं।
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दिल के मरीजों, दम और अन्य सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को बाहर न ले जाने की सलाह दी जाती है जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। एक्यूआई लखनऊ में 283 के स्तर पर जाता दिखता है। साथ ही, प्राइमरी पॉल्यूटेंट पीएम 2.5 हवा में 138 मिलीग्राम/घन मीटर है।
शहर की हवा खराब बताई जा रही है। नोएडा में हालात बहुत खराब हैं। शहर का एक्यूआई 354 है। यानी हवा बहुत खराब है। गाजियाबाद में, एक्यूआई 364 के स्तर पर है।
इन सभी शहरों में चार से छह किलोमीर प्रति घंटे की हवा चलती है। इसके बाद भी हवा लगातार बहुत खराब दिखती है।
बारिश होने पर स्थिति में सुधार होगा:
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि क्षेत्र कम दवाब का बन रहा है। इसलिए दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
अगले दो से तीन दिनों में कई क्षेत्रों में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है। इस तरह की स्थिति हवा में मौजूद धूलकणों को जमीन पर लाने में मदद करेगी।
इससे प्रदूषण से कुछ राहत मिल सकती है। बारिश के दौरान धुआं वातावरण से गायब हो सकता है। हालाँकि, बारिश होने तक इस तरह की स्थिति रहने की उम्मीद है।