जानिए किस तरह NASA का इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन अंतरिक्ष में टिका है

NASA: 1998 में, अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने दुनिया भर की कई स्पेस एजेंसियों को एकजुट करके अंतरिक्ष में एक स्टेशन बनाने का अभियान शुरू किया। रूस के एक रॉकेट ने स्पेस स्टेशन का पहला भाग अंतरिक्ष में भेजा। फिर विभिन्न भागों को अंतरिक्ष में डाला गया।

बाद में सभी भागों को मिलाकर स्पेस स्टेशन (NASA)बनाया गया। स् पेस स्टेशन को लॉन्च के बाद दो साल में बनाया गया। 2 नवंबर 2000 को अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर भी अंतरिक्ष वैज्ञानिक पहुंचे।

NASA में वैज्ञानिकों के रहने, आराम करने, ऑफिस में काम करने और अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में शोध करने के लिए सुविधाजनक स्थान बनाए गए हैं।

International Space Station में पांच बेडरूम वाले घर के लिए सभी जगहों पर बराबर जगह है। इसमें एक बार में छह लोग रह सकते हैं। धरती पर अंतरिक्ष स्टेशन का वजन लाखों किग्रा होगा। ISS लगातार धरती के चक् कर लगाता रहता है। अब सवाल ये उठता है कि आईएसएस लगभग 23 साल से अस्तित्व में है कैसे? ये धरती पर गिरकर टूट क् यों नहीं जाते?

सर आइजैक न् यूटन की राय क्या है?
नासा के इंस्ट्रक् टर और फ्लाइट कंट्रोलर रॉबर्ट फ्रॉस् ट ने कोरा पर बहुत आसान उत्तर दिया है।

Fross ने कहा कि सर आइज़ैक न्यूटन ने अपनी पुस्तक “ट्रीटीज ऑन द सिस्टम ऑफ द वर्ल्ड” में इसकी सबसे सरल व्याख्या दी है। सर आइजैक इसमें एक विचार प्रयोग का उल्लेख करते हैं।

उनका कहना है कि गुरुत्वाकर्षण के कारण एक तोप का गोला जमीन के सामने घुमावदार रास्ते पर चलता है। हम घुमाने की रफ्तार को बढ़ाएंगे, गोला छोड़ने पर जमीन से टकराने के पहले उतनी ही दूर चला जाएगा।

अब हम तोप को ऊंची पहाड़ की चोटी पर ले जाते हैं, जहां हवा इतनी पतली होगी कि गोले पर हवा का प्रतिरोध बहुत कम हो जाएगा।
ISS धरती पर गिरकर विस्फोट क् यों नहीं होता?

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पुस्तक न्यूटन कहते हैं, “पहाड़ी पर बहुत ज्यादा गति से दागने पर गोले के पथ की वक्रता पृथ्वी की वक्रता से मेल खा जाए और जमीन पर कभी ना गिरे।”” रॉबर्ट फ्रॉस् ट ने कहा कि ISS पृथ्वी पर नहीं गिरता क्योंकि यह बिल्कुल सही गति से आगे बढ़ रहा है। गुरुत्वाकर्षण के कारण, जब यह गिरने की दर से जुड़ता है, एक घुमावदार पथ बनता है, जो पृथ्वी की वक्रता से मेल खाता है। न्यूटन ने कहा कि इस घटना में आईएसएस पर गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के चारों ओर एक वक्र में यात्रा करने वाले आईएसएस के अभिकेन्द्रीय बल के बराबर है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में कैसे टिका है?

गुरुत्वाकर्षण वस्तु को ग्रह के केंद्र की ओर खींचता है और उसे त्वरण देता है, जिससे वह गोलाकार पथ में रहने लगता है। इसका अर्थ है कि एक निश्चित वेग वाली वस्तु स्थिर होगी जब वह ग्रह के केंद्र से उस दूरी पर होगी, जहां समीकरण संतुलित हैं। गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव ऊंचाई पर कम होता है। इसलिए, उसे पृथ्वी पर न गिरने के लिए उतनी ही धीमी गति से चलना होगा। गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव अंतरिक्ष यान के नीचे मजबूत होगा। ऐसे में उसे पृथ्वी पर गिरने से बचने के लिए जल्दी चलना होगा।

ISSN में, धरती से दूर जाने और धरती के आकर्षण से गिरने का वेग बराबर हैं। इसलिए वे अंतरिक्ष में रहते हैं।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है?
अंतरिक्ष में बार-बार जाने और आने की प्रक्रिया बहुत जटिल और बहुत महंगी है। वहीं, अंतरिक्ष यात्रा में आम तौर पर कोई रुक नहीं सकता। ऐसे में वैज्ञानिकों को एक ऐसे सैटेलाइट की जरूरत महसूस हुई, जिसमें वे शोध करते हुए रुक सकें। इसके लिए 1998 में अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन खोला गया। इसे बनाने में लगभग सौ अरब डॉलर खर्च हुए हैं। ISS दुनिया का सबसे बड़ा अन्तरिक्ष स्टेशन है। ISS धरती से लगभग 400 किमी की ऊंचाई पर रहता है और पृथ्वी के चारों ओर घूमता है।

ISS 28 हजार किमी/घंटे की रफ्तार से घूमता है। ये धरती को 90 मिनट में इस रफ्तार पर घूमता है।

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