turmeric price : देश में एक चीज सस्ती होने पर दूसरी महंगी हो जाती है। हल्दी की कीमत सातवें आसमान पर पहुंच गई है, जबकि टमाटर और हरी सब्जियों की कीमत में गिरावट आई है। हल्दी का थोक मूल्य 18,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है।
मानसून आने से देश में महंगाई बढ़ी है। चीनी, प्याज, चावल, आटा और दाल सब महंगे हो गए हैं। लेकिन मसालों की बढ़ती कीमतें आम जनता को सबसे अधिक परेशान कर रही हैं।
बताया जा रहा है कि हल्दी की कीमत पिछले चार महीने में 180% बढ़ी है। इससे हल्दी की दर सातवें आसमान पर चली गई है। हल्दी का थोक मूल्य 18,000 रुपये प्रति क्विंटल है। इससे आम लोगों का किचन बजट गिर गया है।
हल्दी एक बहुत फायदेमंद मसाला है। इसके बिना स्वादिष्ट सब्जी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसे खाने से आपका शरीर स्वस्थ और तरोताजा रहता है।
यही कारण है कि हल्दी एक ऐसा मसाला है जिसे गरीब से गरीब और अमीर से अमीर लोग दोनों प्रयोग करते हैं। ऐसे में, सबसे गरीब लोगों के घरों का बजट बढ़ने से प्रभावित हुआ है। लेकिन हल्दी की कीमत बढ़ने की वास्तविक वजह अब पता चली है।
हल्दी की कीमतों पर सीधा असर
माना जाता है कि किसानों ने पिछले सीजन में 20 से 30 प्रतिशत कम रकबे में हल्दी की बुवाई की थी। इससे उत्पादन में काफी गिरावट आई है, जो कीमतों को बढ़ाता है।
इसके अलावा, आंध्र प्रदेश और माहाराष्ट्र में बेमौसम बारिश ने हल्दी की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया। इससे उत्पादकता प्रभावित हुई, जिससे हल्दी की कीमतें प्रभावित हुईं।
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कीमतें घट सकती हैं
विशेषज्ञों का कहना है कि अलनीनो प्रभाव के चलते कई क्षेत्रों में औसत से कम बारिश हुई है। इसके अलावा, हल्दी का उत्पादन कम हो गया, जो कीमतों को बढ़ाता था।
वहीं, देश से हल्दी का बड़ा हिस्सा निर्यात किया गया है। राष्ट्रीय हल्दी निर्यात अप्रैल से जून 2023 के बीच 16.87% से बढ़कर 57,775.30 टन पर पहुंच गया।
वहीं, इस बार दक्षिण भारत में हल्दी उत्पादन में ४५ से ५० प्रतिशत की कमी हुई है। बता दें कि भारत हर साल लगभग 1.50 करोड़ बैग हल्दी निर्यात करता है।
लेकिन इस साल देश में सिर्फ 55 से 56 लाख बैग हल्दी बनाए गए हैं। इसके बावजूद, आने वाले त्योहारी सीजन में इसमें और सुधार होगा। इसके बाद कीमतें गिर सकती हैं।