Income Tax: अगर आप इनकम टैक्स (Income Tax) ऑडिट रिपोर्ट बिना चेक किए इनकम टैक्स विभाग में जमा कर देते हैं और बाद में उसमें कुछ गड़बड़ी पाई जाती है तो मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं वो चार बातें जो इनकम टैक्स ऑडिट रिपोर्ट में ध्यान रखनी चाहिए.
इनकम टैक्स ऑडिट के लिए सही फॉर्म्स का इस्तेमाल
टैक्सपेयर्स को अनिवार्य रूप से टैक्स ऑडिट करवाना आवश्यक है, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके ऑडिटर ने कानून के अनुसार सही फॉर्म जमा किए हैं. एक ऑडिटर को फॉर्म 3सीडी में 44 खंडों का उल्लेख करते हुए विस्तृत विवरण के साथ फॉर्म 3सीबी में रिपोर्ट देनी होती है.
यदि आयकर उद्देश्यों के लिए आयकर ऑडिट अनिवार्य है तो इन फॉर्मों का उपयोग किया जाता है. हालांकि, अगर टैक्सपेयर्स को किसी अन्य कानून (जैसे कंपनी अधिनियम, 2013) के लिए ऑडिट करवाना जरूरी है तो ऑडिटर फॉर्म 3CD में डिटेल के साथ फॉर्म 3CA में रिपोर्ट देगा.
फॉर्म 3सीडी उन सभी व्यक्तियों के लिए एक सामान्य फॉर्म है जिन्हें आयकर ऑडिट का अनुपालन करना आवश्यक है. फॉर्म 3CA और फॉर्म 3CB की दरकार टैक्सपेयर्स की कैटेगरी पर निर्भर करेगा.
तारीख
टैक्स ऑडिट रिपोर्ट बनने के बाद इसे ऑनलाइन अपलोड भी करना होता है और सरकार की ओर से इसके लिए भी तारीख का निर्धारण किया गया है.
टैक्स ऑडिटर को रिपोर्ट 30 सितंबर तक अपलोड करनी होगी. अगर इस तारीख तक रिपोर्ट अपलोड नहीं की जाती है तो बाद में पेनेल्टी लगेगी.
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दस्तावेजों का वेरिफिकेशन
टैक्स ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने के लिए जरूरी है कि ऑडिटर के जरिए जरूरी दस्तावेजों और बुक्स को सही से वेरिफाई किया जाए.
ऐसे में ध्यान रखें कि ऑडिटर ने सभी प्रासंगिक दस्तावेजों और बुक्स जैसे वाउचर, नकद बहीखाता, खरीद और बिक्री बहीखाता का वेरिफिकेशन किया हो.
सही जानकारी
इसके साथ ही ऑडिट रिपोर्ट में कोई भी गलत जानकारी न दें. ऑडिट रिपोर्ट में प्रत्येक जानकारी सही होनी चाहिए. अगर ऑडिट रिपोर्ट में गलत जानकारी दी जाती है और ये जानकारी इनकम टैक्स विभाग की नजर में आ जाती है तो दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और जुर्माना भी देना पड़ सकता है. ऐसे में चेक करें कि ऑडिट रिपोर्ट में दी गई जानकारी सही है या नहीं.