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Anil Ambani की ये कंपनियां डूबा देंगी LIC का पैसा

Anil Ambani: Reliance Capital, अनिल अंबानी की कंपनी, की बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। आरबीआई ने हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) का प्रस्ताव रिलायंस कैपिटल को अस्वीकार कर दिया है।

आरबीआई ने भी हिंदुजा के पांच लोगों को रिलायंस कैपिटल में डायरेक् टर के पद पर नियुक्त करने की अनुमति दी है। यही कारण है कि रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) को बेचने का रास् ता साफ हो गया है।

साथ ही, रिलायंस कैपिटल को कर्ज देने वाले बैंकों को भारी नुकसान होना तय है क्योंकि नीलामी से मिली रकम और कैश बैलेंस से सिर्फ कर्ज का 43% ही रिकवर हो सकता है।

इसका अर्थ है कि बैंकों, साथ ही ईपीएफओ और एलआईसी (LIC) भी डूबने वाले हैं। अप्रैल में हुई दूसरे दौर की नीलामी में हिंदुजा ग्रुप ने रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9,650 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी।

रिलायंस कैपिटल का कर्ज कितना है?
सितंबर 2021 में, अनिल अंबानी की रिलायंस कैपटिल ने शेयरहोल्डर्स को अपना कर्ज बताया। उन्होंने दावा किया कि उसके ऊपर बैंकों का ४० हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 23,666 करोड़ रुपये के दावों को एडमिनिस् ट्रेटर ने वेरिफाई किया है, जिससे बैंकों को सिर्फ 43% हिस्सा मिलेगा।

एलआईसी और ईपीएफओ से मिलने वाली राशि
भारतीय जीवन बीमा निगम का करीब 3,400 करोड़ रुपये का कर्ज भारी कर्ज वाली रिलायंस कैपिटल पर है। वहीं, ईपीएफओ ने रिलायंस कैपिटल में 2,500 करोड़ रुपये का निवेश किया। ईपीएफओ को लगभग 1,075 करोड़ रुपये और एलआईसी को 1,460 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।

इस नीलामी से कितनी रिकवरी की उम्मीद की जाती है—
टॉरेंट इंवेस्टमेंट ने रिलायंस कैपिटल की पहली नीलामी में 8,640 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। बाद में, कंपनी के क्रेडिटर्स ग्रुप ने फिर से नीलामी करने का निर्णय लिया और हिंदुजा ने 9,650 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई।

रिलायंस के कैश बैलेंस और नीलामी अमाउंट को देखते हुए लगभग 10,050 करोड़ रुपये की रिकवरी होने की उम्मीद है।

अनिल अंबानी के फाइनेंशियल सर्विसेज बिजनेस के लिए होल्डिंग कंपनी थी रिलायंस कैपिटल, जिसका बोर्ड 30 नवंबर को भंग हुआ था। रिलायंस कैपिटल में लगभग २० फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं। सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस और आरसी इनमें शामिल हैं। 30 नवंबर 2021 को, आरबीआई ने रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को भंग कर दिया और इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू की। Reliance Capital, अनिल अंबानी की कंपनी, की बिक्री का रास् ता साफ हो गया है।

आरबीआई ने हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) का प्रस्ताव रिलायंस कैपिटल को अस्वीकार कर दिया है। आरबीआई ने भी हिंदुजा के पांच लोगों को रिलायंस कैपिटल में डायरेक् टर के पद पर नियुक्त करने की अनुमति दी है। यही कारण है कि रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) को बेचने का रास् ता साफ हो गया है।

साथ ही, रिलायंस कैपिटल को कर्ज देने वाले बैंकों को भारी नुकसान होना तय है क्योंकि नीलामी से मिली रकम और कैश बैलेंस से सिर्फ कर्ज का 43% ही रिकवर हो सकता है। इसका अर्थ है कि बैंकों, साथ ही ईपीएफओ और एलआईसी (LIC) भी डूबने वाले हैं।

अप्रैल में हुई दूसरे दौर की नीलामी में हिंदुजा ग्रुप ने रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9,650 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी।

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रिलायंस कैपिटल का कर्ज कितना है?

सितंबर 2021 में, अनिल अंबानी की रिलायंस कैपटिल ने शेयरहोल्डर्स को अपना कर्ज बताया। उन्होंने दावा किया कि उसके ऊपर बैंकों का ४० हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 23,666 करोड़ रुपये के दावों को एडमिनिस् ट्रेटर ने वेरिफाई किया है, जिससे बैंकों को सिर्फ 43% हिस्सा मिलेगा।

एलआईसी और ईपीएफओ से मिलने वाली राशि

भारतीय जीवन बीमा निगम का करीब 3,400 करोड़ रुपये का कर्ज भारी कर्ज वाली रिलायंस कैपिटल पर है। वहीं, ईपीएफओ ने रिलायंस कैपिटल में 2,500 करोड़ रुपये का निवेश किया

इस नीलामी से कितनी रिकवरी की उम्मीद की जाती है—

टॉरेंट इंवेस्टमेंट ने रिलायंस कैपिटल की पहली नीलामी में 8,640 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। बाद में, कंपनी के क्रेडिटर्स ग्रुप ने फिर से नीलामी करने का निर्णय लिया और हिंदुजा ने 9,650 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई। रिलायंस के कैश बैलेंस और नीलामी अमाउंट को देखते हुए लगभग 10,050 करोड़ रुपये की रिकवरी होने की उम्मीद है।

30 नवंबर को बोर्ड भंग हुआ –

गौरतलब है कि अनिल अंबानी के फाइनेंशियल सर्विसेज बिजनेस के लिए रिलायंस कैपिटल एक गैर बैकिंग फाइनेंस कंपनी थी। रिलायंस कैपिटल में लगभग २० फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं। इनमें ब्रोकिंग सिक्योरिटीज, इंश्योरेंस शामिल हैं।

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