Govt Jobs

Govt Scheme Benefit: इस गांव के लोगों को नहीं मिलती सरकारी योजना, जाने

Govt Scheme benefit: करोड़ों लोग केंद्रीय सरकारी योजनाओं से लाभ उठा रहे हैं। लेकिन संतकबीरनगर जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां लोगों को सरकारी कार्यक्रमों का लाभ नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि गांववासी पिछले 25 वर्षों से अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं

संतकबीरनगर जिले में कुछ गांव (Govt Scheme benefit) हैं, जहां लोग राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं ले रहे हैं। ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से संपर्क करते रहे, लेकिन उनकी समस्या हल नहीं हुई।

कारण जानकर आप हैरान हो जाएंगे। इन गांवों का राजस्व अभिलेख पुराना है। ग्रामीण लोग इसकी नकल नहीं पा रहे हैं। राजस्व अभिलेख पूरे देश में ऑनलाइन उपलब्ध हैं।

लेकिन यहां के लोगों पर भारी पड़ रहा है कि इन गांवों के अभिलेख अभी तक ऑनलाइन नहीं हैं। इससे किसी भी पोर्टल पर यहां के अभिलेखों का सत्यापन नहीं किया जा सकता है।

25 वर्षों से भटक रहे हैं ग्रामीण: संतकबीरनगर जिले के धनघटा तहसील क्षेत्र में तीन राजस्व गांव हैं जहां लोग 25 वर्षों से भटक रहे हैं। अगापुर गुलरिहा, छपरा मगर्वी और चपरा पूर्वी गांव हैं।

SBI Loan: बदलने जा रहे लोन के नियम, जानिए क्या होंगे

इन गांवों में रहने वाले लोगों की जमीन के तहसील में मौजूद राजस्व अभिलेखों की पुरानी स्थिति है। गांव के किसानों को इनकी बदहाली से न तो खतौनी मिल रही है और न ही वरासत मिल रही है। 25 वर्षों से प्रशासनिक लापरवाही ने ग्रामीणों को परेशान कर दिया है।

किसान क्रेडिट कार्ड और सम्मान निधि से भी वंचित

सम्मान निधि और केसीसी सरकार की पहली प्राथमिकता आज किसानों की मदद करना है। लेकिन गांव के किसानों को खतौनी नहीं मिल पा रही है क्योंकि अभिलेख खराब है।

खतौनी के किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं ले पा रहे हैं अगर यह नहीं चलता। यही बात केसीसी की भी है। बैंक केसीसी को कोई रिकार्ड नहीं दे सकता है।

छपरा मगर्वी के निवासी देवेंद्र यादव, बृजभूषण यादव, शकील, राजकुमार चौहान, परशुराम शर्मा, दयाराम यादव, चपरा पूर्वी गांव के निवासी हरिराम यादव, बाबूलाल यादव और राम सुमेर यादव को किसान सम्मान निधि की सुविधा नहीं मिलेगी। किसान सम्मन निधि का लाभ पूरे गांव को नहीं मिल रहा है।

वर्षों पहले वारिसों को भू स्वामित्व नहीं मिल पा रहा

शासन को भी विवादों से बचना और लोगों की सुविधा के लिए संपत्ति की वरासत करना महत्वपूर्ण है। लेकिन अभिलेखों की चुनौती इतनी गंभीर है कि इन गांवों की वरासत और दाखिल खारिज किसान भी नहीं हो पा रहे हैं।

यहां भू स्वामित्व सालों पहले मर चुके लोगों के वंशजों को नहीं मिल पा रहा है। छपरा मगर्वी निवासी गंगाराम यादव बताते हैं कि उनके पिता राम लौट की दो वर्ष पहले मौत हो गई थी, लेकिन खतौनी के अभाव में उनकी वरासत नहीं हो पाई है।

पूर्वी चपरा गांव में भी वरासत खतौनी के अभाव में नहीं चढ़ पा रही है। तहसील के प्रधान हरिराम यादव ने बताया कि इसके लिए कई बार धरना-प्रदर्शन किया गया है, लेकिन मामला सिफर रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button