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Agriculture Business Idea: इस खेती में कर सकते है लाखों की कमाई, जानें

Agriculture Business Idea: यदि आप एक किसान हैं और एक बार फसल लगाकर कई वर्षों तक कमाई करना चाहते हैं तो कुंदरू की खेती एक अच्छा विचार हो सकता है। यह सिर्फ एक बार बोया जाता है और कई वर्षों तक फसल मिलती रहती है। आइए जानते हैं कुंदरू की खेती कैसे की जाती है और कितनी कमाई हो सकती है?।

कुंदरू के पौष्टिक लाभ:
कुंदरू (Ivy Gourd) के कच्चे हरे फल बहुत पौष्टिक हैं और विटामिन ए, कैल्शियम, प्रोटीन, रेशा और बीटा कैरोटीन का सबसे अच्छा स्रोत हैं। इसे सलाद के रूप में या पकाकर सब्जियों के रूप में खाया जा सकता है। मधुमेह को ठीक करने के लिए जड़ों और पत्तियों के रस का उपयोग किया जाता है।

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पत्तियों को घावों पर लेप के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

कुंदरू के प्रकार:
कुंदरू (Kundru) की कई उन्नत किस्में कृषि वैज्ञानिकों ने बनाई हैं। आईसीएआर ने काशी भरपूर, इंदिरा कुंदरू-3, इंदिरा कुंदरू-5 और अर्का नीलाचल कुंखी को उन्नत किस्में बताया है। सलाद और सब्जी के लिए दूसरा नीला कुंखी प्रकार बेहतर है। यह अगेती है। फल लंबे होते हैं और 23-25 ग्राम के होते हैं। 18-25 किलोग्राम प्रति पौधा की उपज और 800 फल प्रति मौसम।

अर्का नीला सबुजा: यह पुष्ट होता है और बहुत अधिक बायोमास बनाता है। यह देखने में गहरा हरा और कटी हुई धारी है।

प्रति पौधा 900 से 1000 फूल होते हैं, और फलों का वजन लगभग 25 ग्राम है। बेहतर खेती तकनीक से हर पौध से लगभग ४० से ४० किलोग्राम उपज मिल सकती है।

काशी भरपूर: इसके अंडाकार, हल्के हरे रंग के फल में सफेद धब्बे हैं। एक हेक्टेयर में 2500–2600 जड़ वाली कलमों की आवश्यकता होती है। रोपाई के ४०-५० दिनों के बाद इसमें फल आना शुरू होता है।

खेती का प्रकार—
कुंदरू खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। कुंदरू के पौधों की रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई की जाती है। फिर खेत में वर्मी कंपोर्ट, गोबर और जैविक खाद डाला जाता है। इसके बाद खेत में मेड़ लगाया

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